महाराज बाड़े की विक्टोरिया मार्केट में देश का पहला जियो लॉजिकल म्युजियम (Geological Museum) बनाया जा रहा है. देश के पहले भू विज्ञान संग्रहालय की आधारशिला विगत 9 मार्च, 2019 को केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रखी थी. ग्वालियर नगर निगम के सहयोग से खान मंत्रालय और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने संयुक्त रूप से इस संग्रहालय को तैयार किया है. इस संग्रहालय में दो गैलरी बनाई जानी हैं जिसमें से इसकी पहली गैलरी का निर्माण पूर्ण हो गया है. शनिवार को म्युजियम की निर्माण कर्ता कंपनी ने तैयार हुई इस एक गैलरी भारत सरकार के खनन मंत्रालय के डायरेक्टर ऑफ जनरल डॉ. एस राजू के सुपुर्द कर दी है. गैलरी का शुभारंभ इसी अप्रैल माह में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या मुख्यमंत्री के हाथों कराने की तैयारी है. इसके बाद यह गैलरी आम जनता के लिए खोल दी जायगी.
पहली गैलरी तैयार, दूसरी होगी जल्द पूरी –
खनन मंत्रालय के डायरेक्टर ऑफ जनरल डॉ. एस राजू ने जानकारी दी कि संग्रहालय की पहली गैलरी का नाम परिवर्तनशील पृथ्वी रखा गया है और इसमें सात एन्क्लेव है, जबकि दूसरी गैलरी का नाम जीवन का विकास है. आने वाले 6 महीनों में यह दूसरी गैलरी भी पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगी. डॉ. एस राजू ने बताया कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण शुरू से इंडियन म्यूजियम कोलकाता की तीन गैलरी मेन्टेन करते है . भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के 6 क्षेत्रीय कार्यालय, और 28 राज्य इकाई कार्यालय में भूविज्ञान संग्राहलय है, लेकिन पूर्ण रूप से भूविज्ञान संग्रहालय 35 करोड़ रुपए की लागत से ग्वालियर में पहली बार बन रहा है. देश के पहले भू विज्ञान संग्रहालय के शुभारम्भ के लिए केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्या सिंधिया, प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति से समय लेने का प्रयास कर रहे हैं.
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बताया गया कि इस भू विज्ञान संग्रहालय के माध्यम से पृथ्वी का जन्म कैसे हुआ? पृथ्वी का केंद्रीय कोर कैसा है? अगर आप पृथ्वी के केंद्र तक पहुंचना चाहते हैं तो आप वहां कैसे पहुंचेंगे और क्या होगा? पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति कैसे हुई? ज्वालामुखी कैसे सक्रिय हैं? भूकंप आने पर क्या होता है? डायनासोर पृथ्वी पर कैसे समाप्त हुए? ऐसे तमाम सवालों से जुड़ी जानकारी आसानी से समझी जा सकगी.
दुर्लभ चीजें रखी गईं हैं संग्रहालय में –
इस संग्रहालय के लिए दुर्लभ चीजें, जिन्हें अंटार्कटिका, जापान सहित दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से लाया गया है. विशेषतः जेम्स स्टोन, बेशकीमती हीरे जिनकी कीमत करोड़ों-अरबों में है, यह दुर्लभ चीजें लोग इन्हें आसानी से एक ही स्थान पर देख सकेंगें. संग्रहालय की पहली गैलरी के हस्तांतरण कार्यक्रम में निगमायुक्त किशोर कन्याल, जीएसआई के डिप्टी डायरेक्टर ऑफ जनरल सुब्रासूचित सरकार, प्रोजेक्ट के नोडल ऑफिसर पवन सिंघल, महेंद्र अग्रवाल सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे.

नाममात्र शुल्क में मिलेगा देखने का लाभ –
भू विज्ञान संग्रहालय को लेकर ग्वालियर के नगर आयुक्त किशोर कुमार कन्याल का कहना है कि इस संग्रहालय से ग्वालियर को देशभर में पहचान मिलेगी. साथ ही अधिक से अधिक लोगों को इस संग्रहालय में आना चाहिए और इसके माध्यम से अपने ज्ञान को बढ़ाना चाहिए, इसे देखते हुए ग्वालियर नगर निगम ने एक बैठक के माध्यम से निर्णय लिया है कि संग्रहालय को देखने के लिए आम आदमी से केवल 25 रुपये लिए जाएंगे जबकि छात्रों को मात्र 10 रु. देना होगा. आयुक्त कन्याल ने कहा कि देश का पहला जियो लॉजिकल म्युजियम ग्वालियर में बनाया जाना बहुत बड़ी उपलब्धि है. आने वाले समय में यह संग्रहालय पर्यटन एवं शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा. इस संग्रहालय में बहुत ही दुलर्भ एवं नायाब वस्तुएं रखी गई हैं इसलिए इसकी सुरक्षा का विशेष इंतजाम किया जायगा.
सात एन्क्लेव कहेंगें पृथ्वी की कहानी –
डॉ. एस राजू ने बताया कि सात एन्क्लेव में से पहले एन्क्लेव में हमारे ग्रह का जन्म,पृथ्वी की कहानी,हमारी पृथ्वी के अंदर,पृथ्वी की स्तर प्रतिमा एवं पृथ्वी के केंद्र की यात्रा बताई जायगी. दूसरे एन्क्लेव में पेजिया,जिग्सो पजल, भारत कहां था, महान हिमालय के विषय में बताया जायगा. तीसरे एन्क्लेव में वल्कन की कहानी,एक ज्वालामुखी का परिचय,ज्वालामुखी के प्रकार, तुम बालकेन हो, ऐतिहासिक घटनाएं, भविष्य की ज्वालामुखी घटनाएं/चेतावनी के बारे में बताया जायगा. चौथे एन्क्लेव में भूकंप सिम्युलेटर,भूकंप को मापना,चीनी सीस्मोग्राफ,भूकंप क्या है, अधिकेंद्र ढूंढना, रिक्टर पैमाने, प्लेट बाउंड्रीज, रिंग ऑफ़ फायर के बारे में बताया जायगा. पांचवें एन्क्लेव में पत्चिन,जीएसआई का समुद्री अन्वेषण, डेक्कन ट्रैप और इसका गठन, डेक्कन के जिओलाइट्स, डेक्कन से डायनासोर का विलुप्त होना, बंजर द्वीप ,सबसे पुरानी चट्टान के बारे में जानकारी मिलेगी. इसी तरह से छठवें एन्क्लेव में वह क्षेत्र जो हमारे ग्रह की रक्षा करता है (पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र), क्षेत्र के उन्मुखीकरण का पता लगाना, कोर पर चुंबक (जियोमैप्रेटिज्म की उत्पत्ति),धु्रवीय भटकन और चुंबकीय उत्क्रमण, शिला चक्र, खनिज की पहचान ,डायमेंसन स्टोन के बारे में बताया जायगा. जबकि सातवें एन्क्लेव में रत्न पत्थर, उल्कापिंड, कोपला, मिट्टी की रूपरेखा के विषय में जानकारी मिलेगी.
देश के पहले जियोलॉजिकल म्यूजियम (Geological Museum) की गैलरी का प्रधानमंत्री कर सकते हैं इसी माह उद्घाटन by Education Learn Academy