नई दिल्ली : – यमुना (Yamuna)को प्रदूषण मुक्त करने के लिए दिल्ली सरकार ने कमर कस ली है. दिल्ली सरकार के जल मंत्री सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj) ने यमुना की सफाई को लेकर 5 प्वाइंट एक्शन प्लान तैयार किया है. उन्होंने बताया कि नदी को साफ करने से पहले उनके स्त्रोत साफ करना आवश्यक है. इस एक्शन प्लान के अंतर्गत नजफगढ़-सप्लीमेंट्री-शाहदरा ड्रेन जैसे प्रमुख नालों को फिर से स्वच्छ जल चैनलों में परिवर्तित किया जाएगा.
जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बताया इन तीनों नालों पर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कुछ समय पहले वियर्स,एरिशन सिस्टम व बैंबू फ्लोटिंग लगाए गए थे, जिसमें लगे वेटलैंड पौधों में प्रदूषण को सोखने की क्षमता मोजूद है. प्रोजेक्ट के बेहतर रिजल्ट को देखते हुए अब विभिन्न जगहों पर ट्रीटमेंट्स जोन बनाए जाएंगे. वेस्टवॉटर में मौजूद फॉस्फेट को कम करने के लिए केमिकल डोजिंग प्रक्रिया भी की जाएगी.
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सौरभ भारद्वाज ने जानकारी दी कि इन विभिन्न जोन में ड्रेन की सफाई के लिए इन-सीटू ट्रीटमेंट विधि के साथ-साथ फ्लोटिंग बूम, बांध, एरिएशन डिवाइस, फ्लोटिंग वैटलेंड लगाए जाएंगे, जिससे प्लास्टिक वेस्ट को एक जगह इकट्ठा करने व जल प्रदूषण को कम करने में सहायता मिलेगी. विदित हो कि दिल्ली सरकार दिल्ली में यमुना नदी को वर्ष 2025 तक साफ करने के उद्देश्य से युद्धस्तर पर काम कर रही है. दिल्ली में नजफगढ़-सप्लीमेंट्री-शाहदरा इन तीनों ड्रेन में अलग-अलग जगहों पर 9-10 ट्रीटमेंट्स जोन बनाने का फैसला लिया है. जहां पर सीवेज के पानी को ट्रीट करने के लिए विभिन्न प्रोसेस दोहराई की जाएगी, ताकि यमुना तक साफ पानी पहुंचे.
बता दें, इन नालों के जोन में बांध बनाए जाएंगे, छोटे छोटे बांध बनाने का मकसद यही है कि पानी की गहराई बढ़े और पानी में मौजूद सुक्ष्म कण जमीन की सतह पर बैठ जाए. बांध के ऊपर से साफ पानी ओवर फ्लो होकर आगे बढ़ जाए. इसके अलावा जोन में एरिएशन डिवाइस लगाए जाएंगे, जिससे पानी के अंदर एरिएशन बढ़ेगी. पानी में आक्सीजन घुलेगा और पानी को और साफ कर देगा. इस तरह यह पानी प्राकृतिक तरीके से साफ होते हुए यमुना तक पहुंचेंगे. अलग-अलग जोन में प्लोटिंग वेटलैंड लगाए जाएंगे, जो पानी में घुली गंदगी को सोख लेगें. यह कम लागत वाले बैम्बू के बनाए जाएंगे, जो बहुत सालों तक चलते है. इसके अंदर वैटलेंड पौधे लगाए जाएंगे, जो पानी को साफ करने में मदद करेंगे. यह ऐसे पौधे होते हैं जो पानी के प्रदूषण को सोख लेते हैं. यह हरे पैचेज के रूप में पानी की सतह पर तैरते रहते हैं. इन पौधों में प्रदूषण को सोखने की क्षमता होती हैं इसलिए जहां भी ये लगाए जाते हैं वहां जल और वायु प्रदूषण कम हो जाता है. जिस तरह से बड़े पेड़-पौधे हवा में घुले प्रदूषक तत्वों को सोख लेते हैं वैसे ही ये फ्लोटिंग वेटलैंड्स पर लगे पौधे भी पानी व हवा के प्रदूषक तत्वों को सोख लेते हैं.
यमुना की सफाई की योजना के अंतर्गत पायलट प्रोजेक्ट के तहत जिन नालों पर बांध बनाए गए हैं, उनमें रिठाला एसटीपी, रोहिणी सेक्टर 11 के पास बने बांध, रोहिणी सेक्टर-16 और रोहिणी सेक्टर-15 में बने बांध से पिछले वर्ष सैंपल एकत्रित किए गए थे. जिससे पता लगा था कि अस्थाई बांध-निर्माण के बाद सस्पेंडेड ठोस पदार्थों में भारी कमी आई है . रिठाला से रोहिणी सेक्टर-15 के बीच कुल सस्पेंडेड ठोस पदार्थ का स्तर 166 मिलीग्राम प्रति लीटर से घटकर केवल 49 मिलीग्राम प्रति लीटर रह गया है. यह परिणाम अपशिष्ट जल में अमोनिया की मात्रा में आने वाली भारी कमी को भी दर्शाते हैं. परीक्षण में पाया गया था कि रिठाला में अमोनिया का स्तर 26 मिलीग्राम प्रति लीटर था, जो रोहिणी सेक्टर 15 तक आते आते मात्र 18 मिलीग्राम प्रति लीटर रह गया. प्रत्येक बांध से गुजरने के बाद गंदे पानी में जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग का स्तर धीरे-धीरे कम होता हुआ नजर आया.
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वर्ष 2025 तक यमुना को साफ करने का लक्ष्य रखा है. यमुना सफाई के उद्देश्य से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देशन में यमुना सफाई सैल का गठन किया गया था. दिल्ली को साफ-सुथरा रखने और यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री मुफ्त सीवर कनेक्शन योजना के अंतर्गत दिल्लीवासियों को मुफ्त सीवर कनेक्शन भी सरकार द्वारा प्रदान किए जा रहे है.
यमुना ( Yamuna)को प्रदूषण मुक्त करने के लिए दिल्ली सरकार करेगी दूषित पानी को प्रक्रियारत by Education Learn Academy