स्मार्टफोन पर समाती स्वास्थ्य चिकित्सा, घर घर डॉक्टर | Smartphone, Health by Education Learn Academy

नई दिल्ली  – नई पीढ़ी में स्मार्टफोन (Smartphone) और इंटरनेट के बढ़ते चलन में खरीददारी से लेकर सूचनाओं के आदान प्रदान सभी कुछ सोशल मीडिया (Social Media) का भाग बन चुके हैं. ऐसे में अब चिकित्सा का क्षेत्र भी स्मार्टफोन के माध्यम से सोशल मीडिया पर समा गया है. कोविड-19 महामारी के बाद से तो चिकित्सा परामर्श स्मार्टफोन व् तकनिकी जानकारी का हिस्सा सा बन गई है. यह अलग बात है कि वाट्सअॅप, फेसबुक जैसे विभिन्न मंचों पर चिकित्सा से संबंधित जो जानकारियां उपलब्ध हो रही हैं। उन पर एकदम विश्वास करना नीम हकीम खतरे जान जैसा है. लेकिन विगत कुछ वर्षों खासतौर से महामारी समय में स्मार्टफोन व इंटरनेट के माध्यम से मरीज व चिकित्सा के बीच की दूरी घटी है.

आने वाले समय में संभव है कि लोग सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए चिकित्सक के पास न जाते हुए अपने घरेलू चिकित्सक से घर बैठे इंटरनेट पर ही उन समस्याओं को निदान पा सकेंगे. अब तो विभिन्न ऑनलाइन स्वास्थ्य वेबसाइटों के अलावा एप भी कार्यरत हो गए हैं. Practo, Doctor 24×7, Tata Health, Mfine, Lybrate जैसे ऑनलाइन एप तकनिकी के माध्यम से स्वास्थ्य समस्याओं का निदान कर रहे हैं. अब तो PharmEasy, 1 mg india जैसे प्लेटफोर्म घर बैठे दवाई पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं.

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सर्वेक्षणों व अनुभवों के अनुसार यह कहा जा सकता है कि अब 49 प्रतिशत इंटरनेट स्मार्टफोन उपयोगकर्ता स्वास्थ्य समस्याओं के लिए यह तकनीक अपनाने लगे हैं. इनसाइट्स ऑन इंडियन सचिंग हेल्थ इनफॉर्मेशन ऑनलाइन सर्वे के अनुसार विभिन्न आयु वर्ग के लोगों में 18 से 25 आयु वर्ग में से 29 प्रतिशत, 26 से 35 आयु वर्ग में 44 प्रतिशत, 36 से 45 आयु वर्ग में 15 प्रतिशत, 46 से 55 आयु वर्ग में 12 प्रतिशत लोग ही स्मार्टफोन व इंटरनेट के माध्यम से चिकित्सा से जुड़े हुए है. इस सर्वेक्षण में एक बात और स्पष्ट हो रही की जो लोग स्वास्थ्य पर कम खर्च करते हैं, वह इंटरनेट के माध्यम से अपनी चिकित्सा खोजने में अधिक रुचि रखते है. वहीं अधिक कमाने वाला वर्ग छोटी-मोटी चिकित्सा जानकारी व अपने प्रारंभिक इलाज के लिए डाक्टर से तकनीक के इस्तमाल के साथ जुड़ता है. सर्वेक्षण में सामने आए आंकड़े बताते है कि 53 प्रतिशत लोग व्यायाम व फिटनेस की जानकारियों के लिए ही स्मार्टफोन-इंटरनेट का इस्तमाल कर रहे हैं. इस दिशा में 48 प्रतिशत लोग स्वास्थ्य बीमा से जुड़ी जानकारियां खोजने में विश्वास रखते हैं. सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्मों पर डाक्टर व चिकित्सा पेशे से जुड़े विशेषज्ञों ने समूह बनाकर चिकित्सा संबंधी सूचनाओं का आदान प्रदान कर रखा है.

किन्तु इसे डॉक्टर पेशे की अंतर्गत व्यवस्था ही माना जाएगा. इस बात से प्रभावित होकर डाक्टर सुनिए, चिकित्सा सेवा, आरोग्यम्, जान है तो जहान है, जैसे समूह या सोशल मीडिया मंच बनाकर आम आदमी भी अपने अपने स्तर पर चिकित्सा सेवाओं, जानकारियों व सूचनाओं की प्राप्ति कर रहे हैं। इन सब के बीच सोशल मीडिया पर घरेलु नुस्खे भी प्रचलित हो गए हैं. कोरोना महामारी के समय आयुर्वेदिक औषधियों का प्रचलन बढ़ा है. लोगों द्वारा सोशल मीडिया मंचों पर स्वास्थ्य से जुडी अनावश्यक जानकारी भेजी जा रही है. एक सन्देश के अनुसार तांबे के बर्तन में पानी पीने से पाचन प्रक्रिया को फायदा, तांबे के गुणधर्म में कीटाणुनाशक शक्ति होती है। जिससे पाचन क्रिया का मार्ग स्वच्छ होता है वजन कम करने के लिए तांबे का गुणधर्म चरबी बढ़ाने वाले अनावश्यक बिंदुओं को नष्ट करते हैं। जख्म भरने में हृदयरोग व रक्तदाब स्थिर रखने में सहायता मिलती है. सोशल मीडिया पर आने वाले इस तरह के संदेशों में अमेरिकन कैंसर सोसायटी का हवाला देते हुए कॅलेस्ट्रॉल नियंत्रण, शरीर के फ्री रॅडिकल्स आदि से सामना करने की शक्ति तांबे में बताते है. विशेष बात यह है कि इस तरह के प्राथमिक उपचारों को ना तो कोई जांचता है और ना ही कोई इस पर अपना विरोध दर्शाता है. ऐसे में संदेशों को भेजकर नीम हकीम खतरे जान का कार्य किया जा रहा है. सोशल मीडिया पर फैल रही इस चिकित्सा प्रणाली में कोई मधुमेह, किडनी आदि से जुड़े रोगों के लिए ऐसे नुस्खे बता दिए जाते हैं, जिन्हें करने में कोई नुकसान तो नहीं होता, बल्कि इसका कोई फायदा भी नहीं दिखाई देता.

विगत दिनों मुंबई के किडनी विशेषज्ञ डा. टोनी अलमाईदा का नाम लेकर सोशल मीडिया की चिकित्सा प्रणाली में मधुमेह पर एक उपचार फैलाया गया. इस उपचार में 100 ग्राम गेहूं का आटा, 100 ग्राम वृक्ष से निकली गोंद, 100 ग्राम जौं, 100 ग्राम कलोंजी को 5 कप पानी में 10 मिनट उबालकर रोजाना खाली पेट लेने से मधुमेह खत्म होने का दावा किया गया है .

बरहाल तकनीक के सकारात्मक प्रयोग के साथ नकारात्मकता भी व्यापक स्तर पर फैलने गई है। डाक्टर व मरीज के बीच की दूरी जहाँ स्मार्टफोन, इंटरनेट के माध्यम से खत्म हो रही है, वहीं इस तरह के प्रयोग भी लोगो को भ्रमित कर रहे है. आने वाला समय निश्चित ही प्रारंभिक चिकित्सा प्रणाली के लिए तकनीकी के साथ सकारात्मक साबित होगा. इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन अपना 75 वां स्थापना दिवस मनाते हुए हेल्थ फॉर ऑल का सन्देश प्रसारित कर रहा है. संगठन का मानना है कि विश्व की 30 प्रतिशत आबादी के पास अब तक जरूरी स्वास्थ्य सेवायें भी नहीं पहुंच सकी है. स्मार्टफोन व् तकनीक से चिकित्सा घर तक तो पहुँच रही है लेकिन इस पर विश्वास व उपयोग आँख बंद करके करना अभी भी संभव नहीं है.

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