
Ghaziabad: गाजियाबाद की क्रॉसिग रिपब्लिक स्थित महागुन मैस्कॉट सोसायटी के निवासियों ने सालों की अपनी जी तोड़ कोशिश के बाद दो अवैध टावर को बनने से रोकने की लड़ाई आखिरकार जीत ली है। इन दो अवैध टावरों को लेकर महागुन बिल्डर और महागुन मैस्कॉट आरडब्ल्यूए के बीच विगत सात साल से जारी कानूनी लड़ाई का फैसला आरडब्ल्यूए के पक्ष में गया। बता दें कि कि नोएडा के सुपरटेक बिल्डर की ही तरह गाजियाबाद की क्रॉसिंग रिपब्लिक में भी महागुन बिल्डर ने ट्विन टावर बनाने का प्रयास किया था, लेकिन लोकल रेजिडेंट्स की जागरुकता के कारण बिल्डर के मंसूबों पर पानी फिर गया। इसके लिए रेजिडेंट्स को करीब सात साल तक लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी।
उल्लेखनीय है कि साल 2006 में जीडीए ने इंटीग्रेटेड टाउनशिप बसाने के लिए क्रॉसिंग रिपब्लिक को लाईसेंस दिया था। इसमें भूखंड संख्या जीएच पांच, जिसका क्षेत्रफल करीब चालीस हजार वर्गमीटर था। महागुन बिल्डर ने मैस्कॉट प्रोजेक्ट के लिए 13 टावर में 1159 फ्लैट बनाने का नक्शा जीडीए से स्वीकृत कराया था। साल 2011 में यह सारे फ्लैट बन गए। उसके बावजूद बिल्डर ने कई बार ले आउट में परविर्तन कराते हुए मानचित्र स्वीकृत कराया।
Also read: Ghaziabad: सेवियर पार्क, मोहन नगर में धूमधाम से मनाया गया छठ पर्व
फरवरी 2016 में बिल्डर ने ओपर एरिया की जमीन पर दो टावर वाई तीन, वाईचार में 259 फ्लैट बनाने का नक्शा जीडीए से स्वीकृत कराया। जबकि इस ओपन एरिया के लिए अन्य खरीददारों से प्राइम लोकेशन चार्ज वसूल चुका था। यह मामला संज्ञान में आने पर आरडब्ल्यूए ने रेजिडेंट्स से इस मामले की जीडीए से शिकायत की, लेकिन जीडीए ने इस मामले में कोई संज्ञान नहीं लिया।
जब बिल्डर ने इन दोनों टावर का निर्माण कार्य शुरू करवाया तो 28 फरवरी 2017 को आरडब्ल्यूए ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने निर्माण कार्य पर स्थगन आदेश लगाकर उत्तर प्रदेश शासन में आवास एवं शहरी नियोजन अनुभाग को मामले को निस्तारित करने का आदेश दिया। इसके बाद यहां से मामला बिल्डर पक्ष में गया।
इसके बाद जब रेजिडेंट्स साल 2018 में दोबारा हाईकोट गए तो अदालत ने निर्माण पर रोक रखते हुए जीडीए को मामला निस्तारित करने का आदेश दिया। जीडीए में सुनवाई के दौरान बिल्डर ने हलफनामा दिया कि जिन फ्लैट खरीददारों से पीएलसी ली गई है उनका पैसा वापस कर दिया गया है। इसके बाद जीडीए ने मार्च 2022 में आदेश दिया कि बिल्डर ने पीएलसी वापस कर दी है अब दोनों टावर बनाए जा सकते हैं।
इसके बाद रेजिडेंटस ने रिवीजन अपील दायर की। आवास एवं शहरी नियोजन अनुभाग के सचिव रणवीर प्रसाद ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 25 जनवरी 2023 को आदेश जारी किया जिसमें 17 जनवरी 2019 के जीडीए के आदेश को अमान्य करार दिया। सचिव ने अपने आदेश में लिखा कि यह मामला भी एमराल्ड केस के समान है क्योंकि इसमें भी अतिरिक्त भूमि वर्तमान लेआउट में समाहित कर ली गई है और पूर्व आवंटियों को कॉमर एरिया में अविभाजित शेयर कम हुआ है।
Ghaziabad: महागुन बिल्डर की बड़ी हार, गाजियाबाद में ट्विन टावर बनाने का आदेश निरस्त by Education Learn Academy